जो चीज जैसी है उसे वैसा ही जानना समाधान है।
भ्रम/भ्रान्ति-
जो चीज जैसी है उसे अन्यथा मान लेना।
अन्यथा के ३ प्रकार हैं:-
- जो जैसा है उससे अधिक मान लेना - अधिमुल्यन (Overevaluating)
- जो जैसा है उससे कम मान लेना -अवमूल्यन (Under evaluating)
कुछ देर बाद किसी ने कहा "ये पैसा ही सारे झंझट की जड़ है !" यह क्या हो गया ? अवमूल्यन।
- जो जैसा है उसका कुछ का कुछ मान लेना - अमुल्यन (Evaluating something else)
किसी से गलती हुई हमने कहा "तुम गधे हो.." ये क्या हो गया अमुल्यन। मानव से सीधे गधे बना दिया।
"तुम तो राजा हो। ये भी अमुल्यन हुआ।
तो ऐसे ही लेकिन इन तीनों का परिणाम क्या आने वाला है?
जो चीज जैसी है उसको वैसा ही जानने के बजाय हम कुछ और मान लेते हैं अधिमुल्यन, अवमूल्यन या अमुल्यन करते हैं तो इसके आधार पर हमारा जीना कैसा होगा?
1 comment:
कृपया नागराजजी के पुस्तक pdf स्वरूप मे उपलब्ध कराएँ. यदी उपलब्ध हो, तो link बताएँ. यही आपसे अनुरोध बॉ.
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