Tuesday, November 3, 2009

"शिविर का पहला दिन... "

"पूज्य बाबा श्री ऐ.नागराज जी को प्रणाम"

जिन्दगी ने ऐसी करवट ली और मुझे एक रास्ता दिखाया जिस पर मैं चलते जा रही हूँ .....अब पीछे मुड़ने का कोई सवाल ही नहीं .....सारे प्रश्नों के उत्तर मिल गए और सारे भ्रम दूर हो गए। .....शिविर कैसा रहा? यहाँ क्या हुआ? मैंने क्या सिखा आप सभी के साथ बाँटना चाहूंगी।

शिविर अमरकंटक की पहाड़ियों में, प्रकृति के गोद में एक छात्रावास में आयोजित हुआ था।

पहला दिन था ....सभी प्रतिभागियों का परिचय हुआ। यह शिविर सोम भैय्या ने लिया था।

पहले दिन जिन विषयों पर चर्चा हुई निम्नानुसार है:-

*कामना और प्रयास

*मानना नहीं जानना है

*चार अवस्थाओं का होना

*मानवकृत व्यवस्था या अव्यवस्था

*वर्तमान जीवन शैली का विश्लेषण

*शिक्षित और समझदार

*वर्तमान शिक्षा प्रणाली


(क्रमश:)

8 comments:

रचना गौड़ ’भारती’ said...

स्वागत है ।
लिखते रहें ।
साहित्य का शौक हो तो मेरे ब्लोग को ज़रूर पढें ।

अजय कुमार said...

हिंदी ब्लॉग लेखन के लिए स्वागत और शुभकामनायें
कृपया अन्य ब्लॉगों पर भी जाएँ और अपने सुन्दर
विचारों से अवगत कराएँ

डॉ. राधेश्याम शुक्ल said...

blog jagat men swagat.

Roshani said...

alkagoel जी आपने जो नई जानकारी दी उसके लिए धन्यवाद।

IMAGE PHOTOGRAPHY said...

आप का ब्लोग जगत मे स्वगत है

आप मेरे ब्लोग पर आये आप का स्वागत है


http://photographyimage.blogspot.com/

SACCHAI said...

" aapka swagat hai "

---- eksacchai { AAWAZ }

http://eksacchai.blogspot.com

Roshani said...

मनोज जी और तुलसी भाई जी (सच्चाई ....) आप दोनों का "जीवन विद्या" में स्वागत है

संजय भास्‍कर said...

सच कहा है
बहुत ... बहुत .. बहुत अच्छा लिखा है
ROSHNI JI DHANYAWAAD